“जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पहुंची SC की जांच कमेटी, 45 मिनट की जांच में क्या हुआ खुलासा?”
जस्टिस यशवंत वर्मा के घर हुई आग की घटना की जांच के लिए SC की कमेटी ने किया निरीक्षण, 45 मिनट तक चली तफ्तीश
सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने और कथित तौर पर नोटों की बरामदगी के मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी। यह कमेटी मंगलवार को दिल्ली के तुगलक क्रिसेंट रोड स्थित जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास पर पहुंची और 45 मिनट तक इस घटना की जांच की। कमेटी में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जीएस संधावालिया, और कर्नाटक हाई कोर्ट की जज अनु शिवरामन शामिल थीं।
आग की घटना का मुआयना और नोट बरामदगी
यह घटना 14 मार्च को हुई थी, जब जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास के स्टोर रूम में आग लग गई थी। जब फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंची, तो वहां तीन से चार बोरों में जली हुई नोटों की जानकारी मिली। इसके बाद दिल्ली पुलिस आयुक्त और फायर डायरेक्टर को सूचित किया गया। आग की वजह से हुए नुकसान और बरामदगी पर अब जांच की जा रही है।
जांच टीम का उद्देश्य
कमेटी ने जस्टिस वर्मा के आवास का निरीक्षण किया और इस घटना से जुड़े सभी पहलुओं की जांच शुरू की। कमेटी के सदस्य अब सबसे पहले उन फर्स्ट रिस्पांडर्स के बयान दर्ज करेंगे, जो इस घटना के बारे में पहले सूचित हुए थे। इसके बाद दिल्ली पुलिस आयुक्त और फायर विभाग के अधिकारियों से भी पूछताछ की जाएगी। जले हुए सामानों की फॉरेंसिक जांच भी की जाएगी, ताकि यह तय किया जा सके कि क्या आग के कारण नोट जलने के मामले में कुछ संदिग्ध तत्व हैं।
जस्टिस वर्मा का बयान
जस्टिस वर्मा ने घटना के बाद अपने बयान में साफ कहा था कि उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य ने स्टोर रूम में कभी भी कोई नकदी नहीं रखी। उन्होंने इन आरोपों को निराधार बताते हुए कहा था कि यह घटना उन्हें फंसाने और बदनाम करने की साजिश है। उन्होंने अपनी सफाई में यह भी कहा कि उनके खिलाफ चलाए गए अभियान का उद्देश्य केवल उन्हें नीचा दिखाना था।
आगे की योजना
इस मामले की पूरी जांच पूरी तरह से पारदर्शी तरीके से की जाएगी, और सभी बिंदुओं पर गौर किया जाएगा। इसके तहत कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) की जांच भी की जाएगी ताकि कोई संदिग्ध गतिविधि सामने आ सके। मामले के सभी पहलुओं की गहनता से जांच के बाद कमेटी अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी।