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Holika Dahan 2025: महाकाल के दरबार में सबसे पहले होलिका दहन क्यों किया जाता है?

Holika Dahan 2025: महाकाल के दरबार में सबसे पहले होलिका दहन क्यों किया जाता है?

होलिका दहन का त्योहार हर साल फाल्गुन महीने में मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल यह पर्व फाल्गुन माह की पूर्णिमा को 2025 में मनाया जाएगा। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होता है और होलिका दहन की परंपरा विशेष रूप से महाकालेश्वर के दरबार में पहले करने की एक धार्मिक मान्यता जुड़ी हुई है।

मध्यप्रदेश के उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर में सबसे पहले होलिका दहन करने की विशेष परंपरा है। माना जाता है कि महाकाल के दर्शन करने से भक्तों को अपार पुण्य और मानसिक शांति प्राप्त होती है। यह परंपरा महाकाल की कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। होलिका दहन से जुड़ी यह मान्यता भी है कि इस दिन बुराई के प्रतीक होलिका को जलाकर अच्छे कर्मों को बढ़ावा दिया जाता है और बुरे समय का अंत होता है।

महाकाल के दरबार में सबसे पहले होलिका दहन क्यों किया जाता है?

होली का त्योहार पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है, और इसके एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होता है। होलिका दहन की अग्नि को पवित्र माना जाता है, जो सभी प्रकार के दुखों और परेशानियों को समाप्त करने वाली मानी जाती है।

अब सवाल यह उठता है कि महाकाल के दरबार में सबसे पहले होलिका दहन क्यों किया जाता है?

महाकाल का महत्व: महाकाल, यानी उज्जैन के महाकालेश्वर, शिव के प्रमुख रूपों में से एक हैं। महाकाल का दरबार विशेष रूप से धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। यहाँ पर सबसे पहले होलिका दहन करने की परंपरा का संबंध महाकाल की महिमा और शक्ति से है। महाकाल का आशीर्वाद लेने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सुख-शांति का वास होता है।

सिद्धि और शक्ति की प्राप्ति: महाकालेश्वर के दरबार में होलिका दहन करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और भक्तों को मानसिक शांति मिलती है। मान्यता है कि महाकाल के दरबार में होलिका दहन करने से व्यक्ति का हर प्रकार का बुराई से निवारण होता है और उसकी जिंदगी में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

इसके अलावा, महाकालेश्वर की पूजा में विशेष तंत्र-मंत्रों और अनुष्ठानों का महत्व होता है, जो होलिका दहन की अग्नि को और भी अधिक शक्ति प्रदान करता है।

इसलिए, महाकाल के दरबार में पहले होलिका दहन करने की परंपरा का मुख्य कारण है कि यहाँ के आशीर्वाद से भक्तों को हर प्रकार की नकारात्मकता से मुक्ति मिलती है और उनके जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है।

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