“Holi 2025: बिहार में परंपराएं सिर्फ जुबानी, दीपावली से होली तक का माहौल बदलने लगा”
Holi in Bihar: परंपराओं का रंग फीका पड़ा, अब जुबानी यादें बनकर रह गईं
बिहार में होली के पुराने दिन याद आते हैं, जब दालान, आंगन और खलिहान में सांस्कृतिक रंग बिखरे होते थे। दीपावली के बाद से ही घरों में घूरा जलाने की परंपरा होती थी, जहां लकड़ी, खर-पतवार और पुआल डालकर आग जलाई जाती थी। यह एक खास अनुभव था, जो अब सिर्फ बुजुर्गों की जुबान पर रह गया है। जैसे-जैसे समय बदला, ये परंपराएं फीकी पड़ गईं और जीवन के रंग बदलते गए।